गुना आरोन, 01 मई 2025: पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए, पंछी बचाओ टीम गुना ने पक्षियों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की है। इस अभियान के अंतर्गत, टीम ने सकोरा वितरण अभियान का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य ग्रीष्मकाल में पक्षियों को पानी और आश्रय प्रदान करना है। इस अभियान का प्रथम चरण गुना जिले के दो प्रमुख स्थानों—नगर परिषद आरोन और सिविल अस्पताल आरोन—में आयोजित किया गया। इस पहल ने न केवल स्थानीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को प्रेरित भी किया।
अभियान का शुभारंभ: नगर परिषद आरोन
सकोरा वितरण अभियान की शुरुआत नगर परिषद आरोन के परिसर से हुई। इस अवसर पर आयोजित एक औपचारिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में नगर परिषद के दरोगा श्री शिवम शर्मा उपस्थित रहे। उनके साथ नगर परिषद के अन्य कर्मचारी और पंछी बचाओ टीम के सदस्य भी मौजूद थे। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री शर्मा द्वारा प्रतीकात्मक रूप से एक पेड़ पर सकोरा बांधने के साथ हुआ।
सकोरे, जो मिट्टी से बने पारंपरिक जल पात्र हैं, पक्षियों के लिए पानी और आश्रय का एक प्रभावी साधन हैं। गर्मी के मौसम में, जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है, पक्षियों को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। नगर परिषद परिसर में विभिन्न प्रजातियों के पेड़ों पर सकोरे लगाए गए, जिनमें नीम, पीपल और बरगद जैसे वृक्ष शामिल थे। इन सकोरों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वे पक्षियों के लिए सुरक्षित और उपयोगी हों। प्रत्येक सकोरे में नियमित रूप से पानी भरने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई, ताकि पक्षियों को निर्बाध रूप से पानी उपलब्ध हो सके।
श्री शिवम शर्मा ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “पंछी बचाओ टीम का यह प्रयास न केवल पक्षियों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति हमारी सामूहिक जिम्मेदारी को भी दर्शाता है। नगर परिषद इस तरह की पहलों का समर्थन करने के लिए हमेशा तत्पर रहेगी।” उन्होंने स्थानीय निवासियों से भी अपील की कि वे अपने घरों और आसपास के क्षेत्रों में सकोरे लगाकर इस अभियान का हिस्सा बनें।
🐦 पंछी बचाओ टीम गुना ने शुरू किया सकोरा वितरण अभियान! नगर परिषद और सिविल अस्पताल आरोन में पेड़ों पर लगाए गए सकोरे, ताकि गर्मी में पक्षियों को मिले पानी व आश्रय। आइए, इस नेक पहल का हिस्सा बनें! 🌳💧 #पंछी_बचाओ #पर्यावरण_संरक्षण pic.twitter.com/twj86gxa1S
सिविल अस्पताल आरोन में अभियान का दूसरा चरण
अभियान के प्रथम चरण की सफलता के बाद, पंछी बचाओ टीम ने उसी दिन सिविल अस्पताल आरोन में दूसरा कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (बीएमओ) डॉ. महेश राजपूत उपस्थित रहे। उनके साथ डॉ. धर्मेंद्र जाट, डॉ. रामलखन पिप्पल और अस्पताल के अन्य कर्मचारी भी मौजूद थे।
सिविल अस्पताल के परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में अस्पताल के विभिन्न हिस्सों में पेड़ों पर सकोरे लगाए गए। इन सकोरों को इस तरह से स्थापित किया गया कि वे पक्षियों के लिए आसानी से सुलभ हों और साथ ही अस्पताल के कार्यों में किसी प्रकार की बाधा न उत्पन्न हो। सकोरों को पेड़ों की ऊपरी शाखाओं पर बांधा गया, ताकि पक्षी सुरक्षित रूप से इनका उपयोग कर सकें।
डॉ. महेश राजपूत ने इस अवसर पर कहा, “पक्षी हमारे पर्यावरण का अभिन्न हिस्सा हैं। उनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए इस तरह के छोटे-छोटे प्रयास बड़े बदलाव ला सकते हैं। सिविल अस्पताल इस अभियान का हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रहा है।” उन्होंने अस्पताल कर्मचारियों को निर्देश दिए कि सकोरों में नियमित रूप से पानी भरा जाए और उनकी देखभाल की जाए।
कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. धर्मेंद्र जाट ने भी अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह अभियान न केवल पक्षियों के लिए, बल्कि मानव समुदाय के लिए भी प्रेरणादायी है। उन्होंने कहा, “जब हम पक्षियों जैसे छोटे जीवों की देखभाल करते हैं, तो हम प्रकृति के प्रति अपनी संवेदनशीलता को दर्शाते हैं। यह अभियान हमें यह सिखाता है कि छोटे प्रयास भी बड़े परिणाम दे सकते हैं।”
पंछी बचाओ टीम का मिशन और दृष्टिकोण
पंछी बचाओ टीम गुना एक स्वयंसेवी संगठन है, जो लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण और पक्षी संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को संरक्षित करना, उनके लिए सुरक्षित आवास सुनिश्चित करना और जन जागरूकता फैलाना है। सकोरा वितरण अभियान इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
टीम के संयोजक ने बताया कि यह अभियान केवल सकोरे लगाने तक सीमित नहीं है। इसके अंतर्गत स्थानीय समुदाय को पक्षी संरक्षण के प्रति जागरूक करने, स्कूलों और कॉलेजों में कार्यशालाएं आयोजित करने, और अन्य सामाजिक संगठनों के साथ सहयोग करने की योजना भी शामिल है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि गुना जिले के हर कोने में पक्षियों के लिए पानी और आश्रय की व्यवस्था हो। हम चाहते हैं कि लोग इस अभियान को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।”
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
इस अभियान को स्थानीय समुदाय का व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ। नगर परिषद और सिविल अस्पताल में आयोजित कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। कई स्थानीय निवासियों ने स्वयं सकोरे खरीदकर अपने घरों और आसपास के क्षेत्रों में लगाने की इच्छा जताई। कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि इस अभियान को ग्रामीण क्षेत्रों तक भी विस्तार दिया जाए, ताकि अधिक से अधिक पक्षियों को लाभ मिल सके।
एक स्थानीय निवासी, श्री रामेश्वर सिंह, ने कहा, “यह बहुत अच्छा प्रयास है। गर्मी में पक्षियों को पानी मिलना मुश्किल हो जाता है। सकोरे लगाने से न केवल पक्षियों को राहत मिलेगी, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियां भी पर्यावरण के प्रति जागरूक होंगी।”
भविष्य की योजनाएं
पंछी बचाओ टीम ने इस अभियान को और विस्तार देने की योजना बनाई है। अगले चरण में, टीम गुना जिले के अन्य कस्बों और गांवों में सकोरा वितरण कार्यक्रम आयोजित करेगी। इसके अतिरिक्त, स्कूलों में बच्चों के लिए जागरूकता कार्यक्रम, पक्षी गणना अभियान, और स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग जैसे कदम भी उठाए जाएंगे।
टीम ने यह भी घोषणा की कि वे सकोरों की देखभाल के लिए स्वयंसेवकों की एक विशेष टोली तैयार करेंगे, जो नियमित रूप से इन पात्रों में पानी भरने और उनकी मरम्मत का कार्य करेगी। इसके लिए स्थानीय युवाओं और स्कूली छात्रों को जोड़ा जाएगा, ताकि युवा पीढ़ी में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भाव विकसित हो।
निष्कर्ष
पंछी बचाओ टीम गुना का सकोरा वितरण अभियान पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायी कदम है। यह न केवल पक्षियों के लिए जीवन रक्षक साबित होगा, बल्कि समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगा। इस अभियान की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि कितने लोग इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाते हैं। स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों के सहयोग से यह अभियान निश्चित रूप से एक बड़ा बदलाव लाएगा।
पंछी बचाओ टीम की यह पहल हमें यह सिखाती है कि छोटे-छोटे प्रयास, जब सामूहिक रूप से किए जाते हैं, तो वे प्रकृति और समाज के लिए बड़े परिणाम ला सकते हैं। यह अभियान न केवल पक्षियों के लिए, बल्कि हम सभी के लिए एक बेहतर और संतुलित पर्यावरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।