आरोन, गुना। सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर गुना जिला प्रशासन ने एक अभूतपूर्व और सख्त कदम उठाया है, जिसका सीधा असर आरोन सिविल अस्पताल की कार्यप्रणाली पर पड़ना तय है। कलेक्टर श्री किशोर कुमार कन्याल के नए निर्देशों के अनुसार, अब अस्पताल परिसर में गुटखा खाने, थूकने या किसी भी तरह की गंदगी फैलाने पर न केवल आम लोगों पर, बल्कि अस्पताल के डॉक्टरों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों पर भी तत्काल जुर्माना लगाया जाएगा। यह पहली बार है जब स्वच्छता की जवाबदेही को संस्थागत स्तर से हटाकर व्यक्तिगत स्तर पर लाया गया है, जहाँ हर कर्मचारी अपने कृत्य के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होगा।
क्यों पड़ी इस सख्ती की जरूरत?
यह कड़ा फैसला कलेक्टर श्री कन्याल के हालिया जिला चिकित्सालय गुना के औचक निरीक्षण के बाद आया है प्रशासन का मानना है कि केवल बाहरी सफाई एजेंसियों या आम जनता को जिम्मेदार ठहराना काफी नहीं है। जब अस्पताल के वे हिस्से भी गंदे पाए जाएं जो सीधे स्टाफ की निगरानी में होते हैं, तो यह एक आंतरिक विफलता का संकेत है। इसी को ध्यान में रखते हुए, अब जवाबदेही का दायरा अस्पताल के कर्मचारियों तक बढ़ा दिया गया है।
क्या कहते हैं नियम?
मध्य प्रदेश में सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर ₹1,000 तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान पहले से मौजूद है, जिसे COVID-19 महामारी के दौरान सख्ती से लागू किया गया था । कलेक्टर का नया आदेश इसी कानूनी ढांचे का उपयोग करता है, लेकिन इसका कर्मचारियों पर लागू होना इसे एक नई दिशा देता है। अब तक, कर्मचारियों की लापरवाही पर आंतरिक अनुशासनात्मक कार्रवाई होती थी, लेकिन अब उन्हें आम नागरिक की तरह ही मौके पर दंडित किया जाएगा।
आगे की राह: क्या जुर्माना ही है समाधान?
कलेक्टर का यह कदम स्वच्छता के प्रति एक नई संस्कृति को जन्म दे सकता है, जहाँ हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी समझेगा। हालांकि, इसकी सफलता दो बातों पर निर्भर करेगी: पहला, इसका निष्पक्ष कार्यान्वयन और दूसरा, क्या प्रशासन जुर्माना लगाने के साथ-साथ उन पुरानी ढांचागत समस्याओं, जैसे पानी की कमी और कचरा प्रबंधन, को भी दूर करने के लिए ठोस कदम उठाता है या नहीं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह नई नीति आरोन के लोगों के लिए एक स्वच्छ और स्वस्थ अस्पताल का सपना पूरा कर पाती है या नहीं।

