भोपाल, [तारीख, जैसे 9 अक्टूबर 2025]। मध्य प्रदेश के सभी अस्पतालों, फार्मेसियों और मेडिकल स्टोर्स के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण सूचना जारी की गई है, जिसके अनुसार अब डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन (पर्चे) पर दवाओं का वितरण (डिस्पेंसिंग) केवल एक पंजीकृत फार्मासिस्ट ही कर सकेगा। यह निर्देश फार्मेसी अधिनियम, 1948 की धारा 42 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के संबंध में है, जिसका उद्देश्य जन स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
मध्य प्रदेश फार्मेसी काउंसिल ने इस संबंध में एक आवश्यक सूचना जारी की है, जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि गैर-पंजीकृत व्यक्ति द्वारा दवा वितरण या बिक्री करने पर फार्मेसी एक्ट, 1948 के तहत कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
नियम तोड़ने पर होगी जेल और भारी जुर्माना
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के पत्र और जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) अधिनियम, 2023 के बाद नियमों को और सख्त किया गया है।
* मूल नियम: फार्मेसी अधिनियम, 1948 की धारा 42 स्पष्ट रूप से कहती है कि एक पंजीकृत फार्मासिस्ट के अलावा कोई भी व्यक्ति चिकित्सक के प्रिस्क्रिप्शन पर दवा को कम्पाउंड, तैयार, मिश्रित या वितरित नहीं कर सकता है।
* संशोधित दंड: 2023 के संशोधन (जन विश्वास अधिनियम) के तहत, यदि कोई गैर-पंजीकृत व्यक्ति दवा वितरण का कार्य करता पाया जाता है, तो उस पर तीन साल तक की कैद अथवा दो लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। यह पहले के दंड से काफी अधिक है, जो नियमों के प्रति सरकार की गंभीरता को दर्शाता है।
जन विश्वास (संशोधन) अधिनियम, 2023 का प्रभाव
भारत सरकार द्वारा 11 अगस्त 2023 को प्रकाशित जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) अधिनियम, 2023 ने फार्मेसी अधिनियम, 1948 की कई धाराओं, जिनमें धारा 42 भी शामिल है, में बड़े बदलाव किए हैं।
* अपराध का वर्गीकरण: संशोधन के बाद, पहले के कई छोटे-मोटे अपराधों को हटा दिया गया है, लेकिन जन स्वास्थ्य से जुड़े गंभीर अपराधों के लिए दंड को बढ़ा दिया गया है ताकि नियमों का अनुपालन सुनिश्चित हो सके।
* उद्देश्य: इस संशोधन का मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि देश भर में फार्मेसी पेशे में केवल योग्य और पंजीकृत फार्मासिस्ट ही कार्य करें, जिससे मरीजों को दवाओं की सही खुराक और जानकारी मिले और किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य जोखिम से बचा जा सके।
क्या हैं फार्मासिस्ट के प्रमुख कर्तव्य?
दवा वितरण केवल एक बिक्री का कार्य नहीं है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा है। पंजीकृत फार्मासिस्ट के मुख्य कर्तव्य इस प्रकार हैं:
* प्रिस्क्रिप्शन की जाँच: यह सुनिश्चित करना कि चिकित्सक का प्रिस्क्रिप्शन वैध है और उसमें कोई त्रुटि नहीं है।
* सही दवा और खुराक: मरीज को चिकित्सक द्वारा लिखी गई सही दवा, सही खुराक, और सही मात्रा में ही वितरित करना।
* परामर्श (काउंसलिंग): मरीज को दवा लेने के तरीके, समय, संभावित साइड इफेक्ट्स और सावधानियों के बारे में विस्तृत और गोपनीय जानकारी देना।
* दवाओं का रिकॉर्ड: दी गई दवाओं का रिकॉर्ड रखना और दवाओं के सुरक्षित भंडारण की निगरानी करना।
मध्य प्रदेश फार्मेसी काउंसिल ने सभी संबंधित प्रतिष्ठानों को निर्देश दिए हैं कि वे इन नए और संशोधित प्रावधानों का सख्ती से पालन करें। उल्लंघन की स्थिति में संबंधित फार्मेसी का पंजीकरण भी निरस्त किया जा सकता है।
नोट: यह खबर मध्य प्रदेश स्टेट फार्मेसी काउंसिल द्वारा जारी नोटिस और फार्मेसी अधिनियम, 1948 (संशोधित 2023) पर आधारित है। सभी मेडिकल स्टोर संचालकों और फार्मासिस्टों को नवीनतम नियमों की जानकारी
रखना अनिवार्य है।