त्योहारों में 'क्विंटल-स्तरीय' नकली मावे का काला कारोबार, सेहत से खिलवाड़ और प्रशासन पर सवाल!
गुना/मध्य प्रदेश। दीपावली का उल्लास शुरू होने से पहले ही गुना जिले के बाज़ार में एक बड़ा स्वास्थ्य संकट मंडरा रहा है। 'ऑपरेशन विष-मिठाई' नामक विस्तृत विश्लेषण से प्राप्त आर्थिक विरोधाभास और मध्य प्रदेश में नकली मावे की हालिया बरामदगियां यह सिद्ध करती हैं कि इस त्योहारी सीजन में बिकने वाली मिठाई का एक बड़ा हिस्सा 'ज़हर' से कम नहीं है। थोक मावा कारोबार का 'क्विंटल-स्तरीय' पैटर्न जिले में संगठित मिलावटखोरी की ओर स्पष्ट इशारा कर रहा है, जबकि शुद्धता सुनिश्चित करने वाली प्रशासनिक मशीनरी की निष्क्रियता गंभीर चिंता का विषय है।
क्विंटल का गणित: ₹180 का मावा, ₹450 की शुद्धता पर भारी
विश्लेषण के अनुसार, उच्च गुणवत्ता वाले 1 किलोग्राम शुद्ध मावे को बनाने की न्यूनतम लागत आज की तारीख में ₹340 से ₹450 प्रति किलोग्राम तक पहुँच जाती है, जिसमें केवल दूध की इनपुट लागत ही ₹210/किलो है।
यह विरोधाभास गुना और पूरे मध्य प्रदेश के बाज़ार के लिए खतरे की घंटी है:
मूल्य विसंगति: यदि बाज़ार में मावा ₹180 से ₹250 प्रति किलोग्राम के थोक भाव पर बेचा जा रहा है, तो यह 'गणितीय रूप से सिद्ध' है कि यह 100% मिलावटी है। कोई भी उत्पादक लगातार उत्पादन लागत से कम दाम पर उत्पाद बेचकर जीवित नहीं रह सकता।
क्विंटल-स्तर की बिक्री: त्योहारी सीजन में जब मिठाइयों की माँग करोड़ों में होती है, तो मावे की बिक्री किलो के बजाय क्विंटल (100 किलोग्राम) के लॉट में होती है। प्रशासन को इसी 'क्विंटल-स्तरीय' बिक्री की गहराई से जाँच करनी चाहिए, क्योंकि यह संगठित 'आर्थिक आत्महत्या' (Economic Suicide) के सिद्धांत को स्थापित करती है – कोई भी थोक खरीदार घाटे वाला शुद्ध मावा क्यों खरीदेगा, जब सस्ता नकली माल उपलब्ध है?
ग्वालियर-चंबल अंचल का 'मावा माफिया' कनेक्शन
राष्ट्रीय स्तर पर और हाल ही में मध्य प्रदेश के कई जिलों, विशेषकर ग्वालियर-चंबल अंचल (जिसमें गुना भी शामिल है) से नकली मावे की बड़ी खेप पकड़ी गई है।
बड़ी बरामदगी: त्योहारों के दौरान भोपाल और इंदौर जैसे शहरों में ग्वालियर-चंबल अंचल से आने वाला 20 से 70 क्विंटल तक नकली मावा जब्त किया गया है।
स्रोत की चिंता: यह इलाका लंबे समय से सिंथेटिक दूध और मावा उत्पादन के लिए कुख्यात रहा है। यूरिया, डिटर्जेंट, टेलकम पाउडर, सस्ते वनस्पति घी, और हानिकारक रसायनों से तैयार यह 'विष-मिठाई' लीवर, किडनी और पाचन तंत्र के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
* सप्लाई का बदला तरीका: खाद्य विभाग की चेकिंग से बचने के लिए अब तस्करों ने बसों की जगह ट्रेनों और प्राइवेट वाहनों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
गुना की मिठाई की दुकान पर चुप्पी क्यों?
जहां भोपाल और अन्य बड़े शहरों में 20 क्विंटल से अधिक नकली मावा जब्त किया जा रहा है, वहीं गुना जिले में खाद्य सुरक्षा विभाग की 'खानापूर्ति' वाली कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
* अल्पकालिक निरीक्षण: पिछले वर्षों में भी दीपावली के समय शहर की कुछ मिठाई दुकानों पर औचक निरीक्षण और सैंपलिंग की कार्रवाई की गई, लेकिन इसका कोई बड़ा या स्थायी असर बाज़ार पर नहीं दिखा।
लावारिस माल का खेल: मिलावटखोर अक्सर लावारिस (अनअटेंडेड) ट्रकों या गोदामों में मावा डंप करते हैं, ताकि पकड़े जाने पर कोई जिम्मेदारी न ले। यह संगठित अपराध प्रशासन की नाक के नीचे पनप रहा है।
आरोन में हाल की कार्यवाही
हाल ही में कुछ ही दिनों पूर्व आरोन नगर के एक प्रतिष्ठ मिठाई दुकान से एक बच्चे द्वारा एक्सपायरी डेट का खाद्य सामान खाए जाने से उसकी तबीयत बिगड़ गई थी जिसके बाद प्रशासन की आंखें खुली थी और दुकान से सैंपल लेकर कार्यवाही की गई थी ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिर्फ एक ही दुकान पर इस तरह से मिलावटी और एक्सपायरी डेट का सामान मिलता है क्या क्या प्रशासन को पूरे जिले मैं जांच अभियान नहीं चलना चाहिए यह गंभीर सवाल है
जांच रिपोर्ट में देरी: सबसे बड़ी विफलता सैंपलों की जांच रिपोर्ट में लगने वाले महीनों के समय की है। रिपोर्ट आने तक नकली मावे से बनी सारी मिठाई बाज़ार में बिक चुकी होती है, और मिलावटखोर नए धंधे में लग जाते हैं।
गुना के लोगों से अपील
गुना के उपभोक्ता केवल ₹450 प्रति किलोग्राम से अधिक मूल्य पर बेची जा रही मिठाई को ही शुद्धता का प्राथमिक पैमाना मानें। इसके अतिरिक्त, मिठाई खरीदते समय रंगत, सुगंध, चिपचिपाहट और मावे को हथेली पर मसलकर चिकनाई की जाँच अवश्य करें।
प्रशासन से मांग:
जिला प्रशासन और खाद्य सुरक्षा विभाग को तुरंत 'क्विंटल-स्तरीय' मावा की बिक्री पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, थोक विक्रेताओं के ठिकानों पर छापेमारी करनी चाहिए और सैंपलिंग के बाद जाँच रिपोर्ट को प्राथमिकता के आधार पर एक सप्ताह के भीतर सार्वजनिक करना चाहिए। त्योहारों की खुशी में किसी को भी 'विष-मिठाई' न मिले, यह सुनिश्चित करना प्रशासन की पहली जिम्मेदारी है।